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18 Sep 2025 · 1 min read

मुक्तक:- जिंदगी

मुक्तक:- जिंदगी

जिंदगी बदरंग होती जा रही है।
मौन अपने अर्थ खोती जा रही है।
चाहतें औंधे पड़ी बेचारगी में।
रौनकों की रात रोती जा रही है॥

©दिनेश कुशभुवनपुरी

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