मुक्तक:- मृत्यु और जीवन
मुक्तक:- मृत्यु और जीवन
मृत्यु निरंतर झूम रही है।
नित जीवन को चूम रही है।
बोझिल और विनाशी काया।
सांसों खातिर घूम रही है॥
©दिनेश कुशभुवनपुरी
मुक्तक:- मृत्यु और जीवन
मृत्यु निरंतर झूम रही है।
नित जीवन को चूम रही है।
बोझिल और विनाशी काया।
सांसों खातिर घूम रही है॥
©दिनेश कुशभुवनपुरी