अद्भुत प्रकृति
लेखक – डॉ अरुण कुमार शास्त्री
विषय – मौसम
शीर्षक – अद्भुत प्रकृति
विधा – स्वछंद काव्य
मौसम रचना कार की सबसे अनुपम भेंट ।
मन आनंदित हो रहा इसको देख – देख ।
ऋतु परिवर्तन से यहाँ मिलता जो वैविध्य ।
अनुपम शोभा प्रकृति की सुखद – सुखद सानिध्य ।
मौसम रचना कार की सबसे अनुपम भेंट ।
मन आनंदित हो रहा इसको देख – देख ।
सर्दी गर्मी , शिशिर और बसंत , सबके सब अनमोल ।
लाख टका से न मिलें , ये ऐसे हैं बिन मोल ।
कभी – कभी अति रूप का होता भीषण कांड ।
पर्यावरण असंतुलन का दारुण, दिखता दृश्य प्रकांड ।
तहस – नहस हो जाएगा सकल विश्व का मान ।
गांठ लीजिए बांध, जो न रखा ध्यान ।
पैसा जिसके पास है वो सुविधाओं से लेंस हैं ।
सुख के प्रतिशत का वहाँ फिर भी ज़ीरो ही बैलेंस है ।
बिजली के संसार का बड़ा अपूरब मेल ।
लुकन छुपाई खेलती , पल – पल इसका खेल ।
सबसे सुन्दर ज्ञान का देता मैं संदेश ।
प्राकृत संसाधनों का बना लीजिए देश ।
मौसम रचना कार की सबसे अनुपम भेंट ।
मन आनंदित हो रहा इसको देख – देख ।
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