कुण्डलिया
!!श्रीं !!
सुप्रभात !
जय श्री राधेकृष्ण !
शुभ हो आज का दिन!
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कुण्डलिया
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जीवन का जब अंत हो, थम जाती हैं साँस ।
मुक्ति मिले हर पीर से, कसक न देती फाँस।
कसक न देती फाँस, अंत जीवन का होता।
तजे मखमली सेज,धरन पर पड़ कर सोता।।
कहे ‘ज्योति’ वह दिवस, एक दिन आना श्रीमन ।
थम जाती है दौड़, ठहर जाता है जीवन ।।
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महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा !
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