सुन कर उसके हाल दिल का हुए बड़े ग़मगीन हैं।
सुन कर उसके हाल दिल का हुए बड़े ग़मगीन हैं।
शायद मोहब्बत का होता यहाँ हर बार यहीं दस्तुर हैं।।
एक तू ही हैं बस दौलत मेरी वाक़ि सब फिज़ूल हैं।
दरिया सागर कस्ती देखो सब अपने ही में चूर हैं।।
कहाँ किसी को मिलती यहाँ ख़्वाबों की सच्ची ता’मीर हैं।
देख दर्द बदलते चेहरे अपने दोस्त वहीं जो करते जी हज़ूर हैं।।
मधु गुप्ता “अपराजिता”