हिन्दी दिवस
🙏
!! श्रीं !!
सुप्रभात !
जय श्री राधेकृष्ण !
शुभ हो आज का दिन !
हिन्दी दिवस की शुभकामनाएँ !
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(दुर्मिल सवैया – हिंदी की वेदना)
०००
अपने घर में गिरती पड़ती, बन काँच गई अब हीरकनी ।
बिटिया परदेशिन बैठ भई, घर में घुस के बड़ भागधनी ।।
उसके मन में खुशियाँ बिखरीं , सिसके घर में पर मालिकनी,
अँगरेज बने जन डोल रहे, बिलखे न दिखे अपनी जननी ।।१
०
कितने दिन और सहूँ दुख को, कुछ तो मन आप विचार करें ।
कब से पिछड़ी घिसटूँ चलती, सिसकूँ अँखियाँ हर बार झरें ।।
परदेशिन तो कर मौज रही, पर देश लली मन मार डरें,
गगरी मम पीर भरी छलके, मन के दुख को इस बार हरें ।।२
०
अपनी सब संतति सीख रहीं, परदेशिन की मम बैरन को,
पर हिन्द निवासिनि जूझ रहीं, अति कातर सी भर नैनन को ।।
करिये मत त्याग भले उसका,पर कोष धरो अपने धन को ।
कुछ और नहीं इतना कर दो, बस माँ कह के भर दो मन को ।।३
०००
राधे…राधे…!
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महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा ।
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