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12 Sep 2025 · 1 min read

#तेवरी (देसी ग़ज़ल)-

#तेवरी (देसी ग़ज़ल)-
■ वो बड़ी वारदात करते हैं।
【प्रणय प्रभात】
*आप से आप घात करते हैं।
जो इशारों में बात करते हैं।।

*छोड़िए बात चार लोगों की।
लोग तो दिन को रात करते हैं।।

*इन दिनों जो हैं उम्र में छोटे।
वो बड़ी वारदात करते हैं।।

*पांव अब अश्रु से नहीं धुलते।
दास पग में परात करते हैं।।

*ज्ञान की बात कौन करता है?
सारे बस जात-जात करते हैं।।

दोगलों को गले लगाते हैं।
दोस्तों से दुहात करते हैं।।

*जो ज़मीनों पे उठ नहीं पाते।
आसमानों में लात करते हैं।।

*जो ग़रीबी पे नाज़ करते हैं।
वो अमीरी को मात करते हैं।।

*साथ पाकर के कुछ हवाओं का।
बैर शाखों से पात करते हैं।।

मेघ लड़ते हैं जंग आपस में।
भूमि पे वज्रपात करते हैं।।

*जिनकी अपनी कोई बिसात नहीं।
और की तय बिसात करते हैं।।

👌👌👌👌👌👌👌👌👌
-सम्पादक-
●न्यूज़&व्यूज़●
(मध्य-प्रदेश)

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