#तेवरी (देसी ग़ज़ल)-
#तेवरी (देसी ग़ज़ल)-
■ वो बड़ी वारदात करते हैं।
【प्रणय प्रभात】
*आप से आप घात करते हैं।
जो इशारों में बात करते हैं।।
*छोड़िए बात चार लोगों की।
लोग तो दिन को रात करते हैं।।
*इन दिनों जो हैं उम्र में छोटे।
वो बड़ी वारदात करते हैं।।
*पांव अब अश्रु से नहीं धुलते।
दास पग में परात करते हैं।।
*ज्ञान की बात कौन करता है?
सारे बस जात-जात करते हैं।।
दोगलों को गले लगाते हैं।
दोस्तों से दुहात करते हैं।।
*जो ज़मीनों पे उठ नहीं पाते।
आसमानों में लात करते हैं।।
*जो ग़रीबी पे नाज़ करते हैं।
वो अमीरी को मात करते हैं।।
*साथ पाकर के कुछ हवाओं का।
बैर शाखों से पात करते हैं।।
मेघ लड़ते हैं जंग आपस में।
भूमि पे वज्रपात करते हैं।।
*जिनकी अपनी कोई बिसात नहीं।
और की तय बिसात करते हैं।।
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-सम्पादक-
●न्यूज़&व्यूज़●
(मध्य-प्रदेश)