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12 Sep 2025 · 1 min read

उसके दामन से छूट गई हूँ मै,

उसके दामन से छूट गई हूँ मै,
ख़ुश्बू हूँ बिखर कर…
चहूँदिशा‌‌ में फ़ैल गई हूँ मैं,
कौन कहता है….
उससे लिपट के रह गई हूँ मै,
मैं तो हवा हूँ…..
सो फ़िज़ाओं में समा गई हूँ मैं…!!
मधु गुप्ता “अपराजिता”

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