Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
11 Sep 2025 · 1 min read

भेड़ाघाट

मात नर्मदा की जलधारा लेती रूप विराट।
धुआंधार ही धुआंधार है देखो भेड़ाघाट।

संगमरमरी चट्टानों में
कल-कल स्वर गूँजे कानों में

दूध सरीखा जल है जिसका बिल्कुल श्वेत निराट।
धुआंधार ही धुआंधार है देखो भेड़ाघाट।

स्वर्ग सदृश्य लगे मनोहारी
धुआं-धुआं सी छटा है प्यारी

सैलानी आते हैं कितने करने सैर सपाट।
धुआंधार ही धुआंधार है देखो भेड़ाघाट।

चौंसठ योगिनी माँ भवानी
मंदिर कहता स्वयं कहानी

प्रतिमाएँ खण्डित करके डर भागा वो सम्राट।
धुआंधार ही धुआंधार है देखो भेड़ाघाट।

रात पूर्णिमा अद्भुत लगती
जलकण पर चाँदनी छिटकती

बनी अल्पनाएँ पत्थर पर धारा करती काट।
धुआंधार ही धुआंधार है देखो भेड़ाघाट।

पत्थर पर हैं कला दिखाते
कारीगर हैं कुशल यहाँ के

तरह-तरह की शिल्प मूर्तियों से सजता है हाट।
धुआंधार ही धुआंधार है देखो भेड़ाघाट।

राजेश पाली ‘सर्वप्रिय’

Loading...