दिन की ख़ामोशी से निकलकर जब हम रात से गुफ़्तगू करने लगे तो,
दिन की ख़ामोशी से निकलकर जब हम रात से गुफ़्तगू करने लगे तो,
रात्रि भी उस ख़ामोशी को समेट दिन के लौटने का इंतज़ार करने लगी।
वन्दना सूद
दिन की ख़ामोशी से निकलकर जब हम रात से गुफ़्तगू करने लगे तो,
रात्रि भी उस ख़ामोशी को समेट दिन के लौटने का इंतज़ार करने लगी।
वन्दना सूद