खिड़कियों से झाँक कर
खिड़कियों से झाँक कर
जो नजारे देखा करते थे!
खुड़कियाँ तो अब भी वही हैं
वो नजारे न जाने कहाँ खो गए ।।
हरमिंदर कौर, अमरोहा
खिड़कियों से झाँक कर
जो नजारे देखा करते थे!
खुड़कियाँ तो अब भी वही हैं
वो नजारे न जाने कहाँ खो गए ।।
हरमिंदर कौर, अमरोहा