मुक्तक
मुक्तक
इंसान क्यों जलता, इंसान से।
जलन तो हमने देखी, शान से।
जब सिर्फ हाथों की जलन थी;
लगा था, अब तो गए जान से।
pk
मुक्तक
इंसान क्यों जलता, इंसान से।
जलन तो हमने देखी, शान से।
जब सिर्फ हाथों की जलन थी;
लगा था, अब तो गए जान से।
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