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4 Sep 2025 · 2 min read

शिक्षक – शिक्षा का सच्चा मार्गदर्शक

शिक्षक – शिक्षा का सच्चा मार्गदर्शक
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शिक्षा मनुष्य जीवन का ऐसा आधार स्तंभ है, जिस पर उसका सम्पूर्ण व्यक्तित्व टिका होता है। यह केवल ज्ञान का संग्रह नहीं, बल्कि जीवन मूल्यों, संस्कारों और आत्मविश्वास का वह प्रकाश है, जो हमें अंधकार से उजाले की ओर ले जाता है। किंतु शिक्षा का वास्तविक स्वरूप तभी साकार होता है, जब उसके पीछे एक योग्य शिक्षक का मार्गदर्शन हो।
योग्य शिक्षक वही है, जो अयोग्य शिष्य को भी योग्य बना दे। वह केवल विषय–विशेष का ज्ञान ही नहीं देता, बल्कि हमें इंसानियत के मार्ग पर चलना सिखाता है। उचित और अनुचित का भेद कराना, सत्य–निष्ठा की राह पर अग्रसर करना और आत्मबल जगाना ही शिक्षक की वास्तविक भूमिका है। इसलिए हर शिष्य का हृदय अपने गुरु के प्रति आजीवन कृतज्ञ रहता है।
शिक्षक ज्ञान के दीपक से अज्ञान का अंधकार मिटाता है। वह हमें स्वयं पर विश्वास करने की शक्ति देता है, हमारी सुप्त क्षमताओं को जाग्रत करता है और हमारे व्यक्तित्व को सही दिशा प्रदान करता है। गुरु ही वह शक्ति है, जो हमें हमारी पहचान कराता है और साधारण से साधारण छात्र को विद्वान बना देता है। यही कारण है कि शिक्षक का कोई भी विकल्प संभव नहीं।
निस्संदेह जीवन भी हमें अनेक सबक सिखाता है। कठिनाइयाँ, अनुभव और संघर्ष हमारे श्रेष्ठ शिक्षक बनते हैं। फिर भी यह भी सत्य है कि जीवन की राह दिखाने वाला, अनुभवों से शिक्षा ग्रहण करना सिखाने वाला और इन सबको आत्मसात करने की क्षमता प्रदान करने वाला गुरु ही होता है। इसीलिए कहा गया है – “ज़िंदगी से बड़ा कोई उस्ताद नहीं, और उस्ताद से बड़ा कोई मार्गदर्शक नहीं।”
आज के भौतिकवादी युग में शिक्षा को व्यवसाय और लाभ का साधन मानने वालों की कमी नहीं है। ऐसे लोग शिक्षा का वास्तविक स्वरूप भूलकर ज्ञान का सौदा करते हैं। परंतु शिक्षा कोई वस्तु नहीं, बल्कि एक अमूल्य ख़ज़ाना है, जो समाज और राष्ट्र निर्माण का आधार है। इसे बांटने वाला सच्चा शिक्षक ही वास्तव में सभ्यता और संस्कृति का संरक्षक कहलाता है।
इसलिए शिक्षक दिवस केवल एक औपचारिक अवसर नहीं, बल्कि यह उस ऋण को स्मरण करने का दिन है, जो हर विद्यार्थी अपने गुरु पर जीवनभर महसूस करता है। हमें सदैव अपने शिक्षकों का आदर करना चाहिए, क्योंकि उनका योगदान केवल पुस्तकीय ज्ञान तक सीमित नहीं होता, बल्कि वे हमारे भीतर संस्कार, नैतिकता और आत्मविश्वास की नींव रखते हैं।
यही कारण है कि गुरु का स्थान सर्वोपरि है और उसका महत्व कभी क्षीण नहीं हो सकता। वास्तव में शिक्षक ही वह सच्चा मार्गदर्शक है, जो हमें ज्ञान के साथ-साथ जीवन जीने की कला भी सिखाता है।
डाॅ फ़ौज़िया नसीम शाद

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