छांव सघन
कुण्डलिया
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बूढ़ा पीपल दे रहा, छांव सघन भरपूर।
राहत मिल जाती हमें, होते थककर चूर।
होते थककर चूर, राह में चलते चलते।
बाल वृद्ध सब साथ, सहज विश्राम चाहते।
कहते वैद्य सुरेन्द्र, जिन्दगी चलती अविरल।
नित्य सभी का साथ, दे रहा बूढ़ा पीपल।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, मण्डी (हि.प्र.)