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17 Aug 2025 · 1 min read

समझदारी का तोहफ़ा कुछ यूँ मिलेगा खामोशियों को ओढ़ एक साया मिल

समझदारी का तोहफ़ा कुछ यूँ मिलेगा खामोशियों को ओढ़ एक साया मिलेगा,
लोग तुम्हें समझदार कह कर समझायेंगें और तुम्हारे हिस्से सिर्फ़ समझौते ही आयेंगें,
हर बार अपनी चाहत को दिल में दबाओगे, अपनी बात को हंसकर छुपाओगे,
जिन्हें ख़ुशी चाहिए थी उन्हें खुशियाँ मिलेंगी, और तुम्हें बस दिल के बोझ की उलझने मिलेंगी,
शायद यही क़ीमत है अच्छा कहलाने की, शायद यही सज़ा है खामोश रहने की,
मगर एक दिन थक कर तुम खुद से सवाल करना, क्या तुम्हारी ख़ुशी किसी गिनती में आती है या समझदारी के नाम पर सिर्फ़ समझौते आते हैं…!
“लोहित टम्टा”

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