बैठेंगे किसी समुंदर के किनारे अंधेरों में ,
बैठेंगे किसी समुंदर के किनारे अंधेरों में ,
और चिरागों को आफताब करेंगे,,, ,,
संवारेंगे जुल्फें तुम्हारी, निहारेंगे अपने चांद को ,
न हुई गर मुकम्मल दुआ तो ,,
मोहब्बत का इंकलाब करेंगे,,,,,,,,, ,, ।।
~आशू ~