किसे कहे हम अपना जग में
किसे कहे हम अपना जग में
लिए मिले सब सपना मग में
कीमत कोई समझ न पाया
रिश्तों को ले सब उलझाया
नखरे रखते है रग रग में
लिए मिले सब सपना मग में
चार दिवारी भीत रीति की
नित्य पढ़ाये शास्त्र नीति की
स्वाद कामना रखते अग में
लिए मिले सब सपना मग में
संजय निराला