Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
15 Aug 2025 · 1 min read

किसे कहे हम अपना जग में

किसे कहे हम अपना जग में
लिए मिले सब सपना मग में

कीमत कोई समझ न पाया
रिश्तों को ले सब उलझाया
नखरे रखते है रग रग में
लिए मिले सब सपना मग में

चार दिवारी भीत रीति की
नित्य पढ़ाये शास्त्र नीति की
स्वाद कामना रखते अग में
लिए मिले सब सपना मग में
संजय निराला

Loading...