प्राणी रहो खुश हर समय
प्राणी रहो खुश हर समय
कुसमय में भी चिंता न करना
जो नहीं है हाथ अपने
कल्पना उसकी क्या करना
कर्तव्य ही है बस में प्राणी
उसमें मत संकोच करना
हो गये असफल अगर तो
मत कभी अफसोस करना
चित्त का संकल्प-विकल्प
ये तो दुःख का मूल है
दृष्टि से अध्यात्म के
देखो तो सब कुछ धूल है
धैर्य शाली है वही
विपदा में जो विचलित नहीं
है वही कमजोर जो
अध्यात्म से परिचित नहीं
रमेश चंद्र ‘उदास’