दिल है तेरी कैद में, जेल बनी हैं याद।
दिल है तेरी कैद में, जेल बनी हैं याद।
मुझ हारे को इश्क़ में, कर दे अब आजाद।।
इस मन का भूखण्ड यह, है तेरा परतंत्र।
इन नज़रों की काट का, फैको कोई मंत्र।।
***
अंकित शर्मा ‘इषुप्रिय’
दिल है तेरी कैद में, जेल बनी हैं याद।
मुझ हारे को इश्क़ में, कर दे अब आजाद।।
इस मन का भूखण्ड यह, है तेरा परतंत्र।
इन नज़रों की काट का, फैको कोई मंत्र।।
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अंकित शर्मा ‘इषुप्रिय’