चांद और चांदनी
चांद और चांदनी
जब चांद चांदनी से मिला होगा
आसमान बरसा होगा रात भर,
जब देखता होगा चांदनी को
यूं ही बिखरते धरती पर।
सुबह का इंतजार है
चांदनी तो थक के सो गई,
चांद जब मिलने गया तो देखा
वो सुबह के उजाले में खो गई।
चांद ने कुदरत से शिकायत कि
बताया चांदनी को खोने का डर,
फिर कुदरत ने बनाया शाम को
जिसने प्रेमी मिलन को बनाया अमर।
बिंदेश कुमार झा