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2 Aug 2025 · 1 min read

चांद और चांदनी

चांद और चांदनी

जब चांद चांदनी से मिला होगा
आसमान बरसा होगा रात भर,
जब देखता होगा चांदनी को
यूं ही बिखरते धरती पर।

सुबह का इंतजार है
चांदनी तो थक के सो गई,
चांद जब मिलने गया तो देखा
वो सुबह के उजाले में खो गई।

चांद ने कुदरत से शिकायत कि
बताया चांदनी को खोने का डर,
फिर कुदरत ने बनाया शाम को
जिसने प्रेमी मिलन को बनाया अमर।

बिंदेश कुमार झा

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