प्यार
प्यार
फूल और सुगंध में
कितना है प्यार,
मुरझाते ही जो छोड़
जाता सुगंध हर बार।
बादल और पानी में
कितना प्यार का बौछार,
छोड़ देता है बादल
जैसे बढ़ता पानी का भार।
प्यार तो चांद ने
रात से किया है ,
साथ नहीं छोड़ते कभी
आसियाना आसमान का दिया है।
चांद के लिए
रात में तारा खिला है ,
गम इस बात का है
यही प्यार सबको मिला है।
बिंदेश कुमार झा