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28 Jul 2025 · 1 min read

"मेरे पापा"

“मेरे पापा”
चलाते थे हाथ पकड़ के वो हमको।
सोचके यह, गिर न जाए किसी मोड़ पे ।
चलना जब सीख गए लड़खड़ा के।
खुद चलने को छोड़ गए हमको ।
गिरना मंजूर था उनको अब हमारा।
पर दूसरो के सहारे चलना नही।
…………✍️योगेन्द्र चतुर्वेदी

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