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25 Jul 2025 · 2 min read

मौनानुभूति: आत्मशांति और वैश्विक सौहार्द की अभिनव साधना

मौनानुभूति: आत्मशांति और वैश्विक सौहार्द की अभिनव साधना

प्रणेता: सौहार्द शिरोमणि संत डॉ. सौरभ पाण्डेय
प्रमुख – धरा धाम इंटरनेशनल | मानद कुलपति

आज के शोरगुल और तनावपूर्ण युग में मौन को एक साधना के रूप में स्थापित करना किसी क्रांति से कम नहीं। मौन केवल चुप्पी नहीं, बल्कि एक गहन अनुभूति है – मौनानुभूति। इस आध्यात्मिक पथ के प्रणेता सौहार्द शिरोमणि संत डॉ. सौरभ पाण्डेय हैं, जिन्होंने न केवल विचार के स्तर पर, बल्कि जीवन शैली और सामाजिक व्यवहार में भी मौन को वैज्ञानिक, आत्मिक और मानवीय परिप्रेक्ष्य से नई ऊँचाइयाँ प्रदान की हैं।

मौनानुभूति क्या है?

मौनानुभूति एक ऐसी ध्यानात्मक साधना है जिसमें मौन के माध्यम से आत्मा और परमात्मा के बीच की दूरी सिमट जाती है। यह संवाद से परे, संवेदना के स्तर पर आत्मचिंतन की विधा है। इसमें वाणी का त्याग कर आत्मा के स्वर से जुड़ने का प्रयास होता है। यह मन को शांत करता है, चेतना को जाग्रत करता है और व्यक्ति को भीतर से सशक्त बनाता है।

मौन की चिकित्सा– “Silence Therapy”

मौनानुभूति केवल आध्यात्मिक अभ्यास नहीं है, बल्कि एक वैज्ञानिक और चिकित्सकीय पद्धति भी है, जिसे “Silence Therapy” कहा जा सकता है। कई शोध यह प्रमाणित करते हैं कि मौन का अभ्यास:

मानसिक स्वास्थ्य को सशक्त करता है

चिंता और अवसाद को कम करता है

एकाग्रता और स्मृति को बढ़ाता है

आत्म-संवाद को प्रोत्साहित करता है

ब्लड प्रेशर और हृदयगति को संतुलित करता है

मौनानुभूति और धरा धाम

धरा धाम इंटरनेशनल, एक वैश्विक मंच है जो सर्वधर्म सौहार्द, आत्मिक शांति, और सामाजिक एकता को बढ़ावा देता है। यहाँ मौनानुभूति को एक केंद्रीय साधना के रूप में अपनाया गया है। नियमित मौन साधना शिविर, ध्यान सत्र, और आध्यात्मिक संवाद आयोजित किए जाते हैं, जहाँ हजारों लोग आंतरिक परिवर्तन का अनुभव करते हैं।

संत डॉ. सौरभ पाण्डेय का योगदान

उन्होंने मौन को एक आंदोलन बनाया है

“मौनानुभूति” को एक शिक्षाशास्त्रीय और सामाजिक विषय के रूप में परिभाषित किया है

धरा धाम मौन ध्यान केंद्र की स्थापना की है

युवा पीढ़ी को तनावमुक्त करने हेतु स्कूलों-कॉलेजों में मौन सत्रों की शुरुआत की है

निष्कर्ष

मौनानुभूति आत्मा का उत्सव है – यह आत्म-अनुशासन, विचारशीलता और आत्मिक उन्नयन की प्रक्रिया है। संत डॉ. सौरभ पाण्डेय द्वारा प्रज्वलित यह दीप अब एक वैश्विक आलोक बन रहा है, जो मानवता को अराजकता से सौहार्द की ओर, और द्वंद्व से दिव्यता की ओर ले जा रहा है।

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