विदाई गीत
साथ में जो बिताए थे पल
याद आएंगे आप कल।
आंख ढूंढेगी जब आपको
भर उठेगी तभी छल छल।
आगे बढ़ने की रीति है
पर अपनों से भी प्रीति है।
सूना है आज कोना कोना
कितना मुश्किल है साथ खोना।
बात है यह बड़ी दुखदाई
अब घड़ी है चलने की आई।
आंख फिर से है डबडबाई।
अब घड़ी है विदाई दाई की आई।
विन्ध्य प्रकाश मिश्र