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19 Jul 2025 · 1 min read

तेरी झील-सी आँखें

तेरी झील-सी आँखों में डूब जाऊँ; इस कदर,
फ़िज़ाओं में समा जाती है खुशबू; बनकर सुरूर

करूँ निकलने की कोशिशें; करता ही रहूँ,
उतना ही डूबता जाऊँ इस समंदर की गहराइयों में; बहुत दूर

दूँ सुकूं या बन जाऊँ तेरी आँखों की किरकिरी,
करोगे न याद; जब चला जाऊँ तेरी दुनियाँ से; बहुत दूर

मौलिक व स्वरचित
डॉ० श्री रमण
बेगूसराय (बिहार)

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