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13 Jul 2025 · 1 min read

रूह उलझन में है बदन के साथ

वज़्न – 2122 1212 221/1121
ग़ज़ल
रूह उलझन में है बदन के साथ
दिल की बनती नहीं है मन के साथ

वाहवाही तो बाद की है बात
पहले होती घुटन सुख़न¹ के साथ

ज़ख़्म पर तुम नमक मलो कुछ और
आ रहा है मज़ा जलन के साथ

घर पे आकर वो टाँग देता रोज़
अपना किरदार² पैरहन³ के साथ

है बहुत तेज़ लोभ की रफ़्तार
कितना दौड़ोगे तुम हिरन के साथ

आ ही जाता है पद को पा के ग़ुरूर
आ भी जाते फ़ितूर धन के साथ

जो न माँ-बाप का हुआ हो ‘अनीस’
क्या करेगा वफ़ा वतन के साथ

– अनीस शाह ‘अनीस’

1.शायरी 2.चरित्र 3.वस्त्र

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