माँ
माँ
तुम्हारी याद मुझको
आज कुछ ज्यादा ही आई
क्यों कहा मुझको पराई
आज मैं ये जान पाई
तुम
जिसे देखा था
सोते जागते
देखने को हूँतरसती आज मैं
आँख भर आती है जब तुम दूर से
हो बुलाती नाम मेरा प्यार से
हो रहा है भय मुझे इस बात का
क्या तुम्हें मिल ना सकूँगी अब कभी
स्पर्श अंतिम एक मुझको मिल सके
क्या नहीं हूँ
इसकी मैं अधिकारिणी
बेटियाँ होती है क्यों
हतभागिनी.