बरसे बादल झूम के, आया सावन मास।
बरसे बादल झूम के, आया सावन मास।
रोम-रोम से फूटता, धरती का उल्लास।।
सावन आया देखकर, हर्षित दादुर मोर।
चंदा बदली में छुपा, ढूँढे कहाँ चकोर।।
© सीमा
बरसे बादल झूम के, आया सावन मास।
रोम-रोम से फूटता, धरती का उल्लास।।
सावन आया देखकर, हर्षित दादुर मोर।
चंदा बदली में छुपा, ढूँढे कहाँ चकोर।।
© सीमा