जो बरसे न जमकर वो सावन कैसा
जो बरसे न जमकर वो सावन कैसा
जो तरसे न जमकर वो साजन कैसा
मेघों का आंचल, बरसाती अंखियां
जो हरसे न जमकर वो आंगन कैसा।।
सूर्यकांत
जो बरसे न जमकर वो सावन कैसा
जो तरसे न जमकर वो साजन कैसा
मेघों का आंचल, बरसाती अंखियां
जो हरसे न जमकर वो आंगन कैसा।।
सूर्यकांत