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12 Jul 2025 · 1 min read

जो बरसे न जमकर वो सावन कैसा

जो बरसे न जमकर वो सावन कैसा
जो तरसे न जमकर वो साजन कैसा
मेघों का आंचल, बरसाती अंखियां
जो हरसे न जमकर वो आंगन कैसा।।

सूर्यकांत

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