#गीत
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■ आँखे जनवासा, आँसू बाराती।।
●(प्रणय प्रभात)●
आँसू में सन्नाटा भी है, आँसू में कोलाहल है।
तेरे लिए खारा पानी है, मेरे लिए गंगाजल है।।
◆ आँसू की अपनी भाषा है, आँसू की अपनी बोली।
दु:ख से कड़वा हुआ नहीं, खुशियों ने मिसरी ना घोली।
इसकी अपनी बात अलग है, इसका अपना रंग अलग।
हर आँसू का एक सलीक़ा, हर आँसू का ढंग अलग।
आँसू में स्थिरता भी है, आँसू में ही हलचल है।
तेरे लिए खारा पानी है, मेरे लिए गंगाजल है।।
◆ वो जो जीभ नहीं कह पाती, वो आँसू कह जाते हैं।
एक यही मेहमान हमेशा, सही समय पर आते हैं।
भावों को भाषा देते हैं, सुख-दु:ख के जो साथी हैं।
आंखें जिनका जनवासा है, आँसू वो बाराती हैं।
मुस्कानों में छल संभव है, इक-इक आँसू निश्छल है।
तेरे लिए खारा पानी है, मेरे लिए गंगाजल है।।
◆ अंतस को निर्मल करते ये, दिल का बोझ हटाते हैं।
कभी-कभी छलिया हो कर के, कोई सबक़ सिखाते हैं।
उद्वेगों के सजग सारथी, उल्लासों के मित्र यही।
हर हालत में दिखलाते हैं, मनोभाव के चित्र यही।
मूक दिखाई देते हों पर, बिंदु-बिंदु में कल-कल है।
तेरे लिए खारा पानी है, मेरे लिए गंगाजल है।।
संपादक
न्यूज़&व्यूज
(मप्र)