तिरुअनंतपुर में खड़ा, अद्भुत एक मेहमान।
तिरुअनंतपुर में खड़ा, अद्भुत एक मेहमान।
हुए बहुत दिन पर नही, जाने का ले नाम।।
जाने का ले नाम, बहाने बना रहा है।
आने का उद्देश्य नहीं कुछ बता रहा है।।
कुछ भी पूछो उलटा सीधा पाठ पढ़ाए।
ब्रिटिश अमेरिका की चिंता को और बढ़ाये।।
बिना बुलाए आए हो, कितना खाओगे।
भारत पूछे हे अतिथि, तुम कब जाओगे।।
“कश्यप”