मेरे श्याम बाबा
मै अक्षर कभी कभी अपने शब्दों में बिखर जाता।
तभी श्याम के दर्शन मिलते है__ में निखर जाता ।।
किसी से महोब्बत ना मुझे, कोई शिकवा रहेगा।
ये बेरहम दुनियाँ है__ तेरी सिवा में किधर् जाता?
हर पल पटकता रहा सर घर की इन चार दीवारों से
तेरी चोखट से ऊचा क्या कोई __में शिखर पाता?
कभी अपने तो कभी परायो के दर्द से ठहर पाता।
तो हर और तुमे ही पाता इधर या__ में उधर जाता
एडवोकेट अनिल चौबीसा
चित्तौड़ 9829246588