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26 Jun 2025 · 6 min read

!!!!!बंदिनी!!!

!!!!!!!!!बंदिनी!!!!!!
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आज से लगभग 50 वर्ष पुरानी बात है। शहर के पास एक छोटे से गांव पहाड़ी में एक पोस्टमैन जीबी बाबू रहते थे। वह कल सुबह गांव व शहर में पत्र पत्रिकाओं को बांटने का काम करते थे। उनकी उम्र लगभग 55 वर्ष हो चुकी थी! उनकी एक बेटी लक्ष्मी थी पत्नी का स्वर्गवास हो गया था । बेटी की जिम्मेदारी पिता के ऊपर ही थी ।पोस्टमैन बाबू को अपनी दोहरी जिम्मेदारी निभाना पड़ता था। लक्ष्मी भी बड़ी हो गई थी ।उसने अपनी स्कूल की पढ़ाई अपने ही गांव में पूरी कर चुकी थी।पोस्टमैन बाबू को लक्ष्मी की शादी की चिंता लगी रहती थी। पोस्टमैन बाबू को संगीत का बहुत शौक था ।काम से फ्री होकर वहां अपनी संगीत क्लास चला लेते थे। जिसमें कुछ विद्यार्थी संगीत कला सीखने आते थे। इसी क्लास में एक विद्यार्थी श्याम नाम का आता था ।वह सीधा-साधा और अच्छे कुल का था पोस्टमैन बाबू ने सोचा क्यों ना इसे ही लक्ष्मी विवाह कर दिया जाएl लड़का देखा वाला भी था ।और खानदान भी अच्छा है। लक्ष्मी खुश रहेगी और मेरी आंखों के सामने भी रहेगी। मन में विचार करता हुआ पोस्टमैन बाबू उसे लड़के के पिता से बात करने घर गये और लक्ष्मी का विवाह तय कर दिया। लेकिन रिश्ता तय होते ही श्याम को कुछ काम आ गया। और वहां शहर चला गया। वह किसी सरकारी दफ्तर में काम करता था। लेकिन एक शाम को दफ्तर जाते समय शहर में दंगा फैल गया। चारों तरफ लड़ाइयां छिड़ गई थी ।श्याम भी इस दंगे में फस गया। रात हो रही थी। रात को लौटते समय उसे अपनी ही दफ्तर की एक सहपाठी के यहां पर शरण लेनी पड़ी। चारों तरफ शहर का माहौल बिल्कुल भी ठीक नहीं था दो संप्रदायों में विवाद चल रहा था। इसी बीच गोलियों की आवाज आई। श्याम और उसके साथी ने देखा कुछ लोग लोगों को घर से बाहर निकाल कर मार रहे हैं। यह लोग घबरा गए और अपनी जान बचाने की सोचने लगे। जिस अधिकारी के यहां श्याम रुका था। उसकी एक बेटी थी। तीनों ने वहां से सुरक्षित स्थान पर जाने का निर्णय लिया। तभी दफ्तर से एक कॉल आया कि उसे तुरंत दफ्तर पहुंचना है। उसे समझ नहीं आ रहा थ। कि क्या करें और क्या नहीं। उसने श्याम से कहा की श्याम तुम मेरी बेटी का ध्यान रखना ।में जल्दी दफ्तर से आता हूं। श्याम ने वादा किया कि मैं अपनी जान देकर भी उसे बचाऊंगा। जैसे ही वह युवक ने घर का दरवाजा खोला ।गोलियां चलने लगीं। युवक ने श्याम को बचाते हुए वह गोली अपने ऊपर ले ली ,और मरते वक्त अपनी बेटी का हाथ श्याम के हाथ में दे दिया। उसे वक्त श्याम को कुछ समझ में नहीं आया, और उसने जो वादा किया था। उसने निभाते हुए उसकी बेटी से शादी कर ली। उस वक्त उसे लक्ष्मी का बिल्कुल भी ख्याल नहीं आया, और अपने नए जीवन में प्रवेश कर लिया। लक्ष्मी उसे पत्र लिखती,पर श्याम उसका जवाब भी नहीं देता ।वह सोचता क्या लिखूं पत्र में वह किस मुंह से में लक्ष्मी के सामने जाएगा। समय बिता गया है। गांव वाले लक्ष्मी और लक्ष्मी के पिता को ताने मारने लगे। अब पोस्टमैन बाबू भी बूढ़े हो गए थे। एक दिन गुस्से में उन्होंने लक्ष्मी से कहा इस गांव को छोड़कर कहीं और चली जा। और लक्ष्मी ने वैसा ही किया। पोस्टमैन बाबू ने लक्ष्मी के जाते ही इस दुनिया से अलविदा ले ली। आप लक्ष्मी के सिर पर से माता-पिता दोनों का साया उठ गया।
अब लक्ष्मी के पास ना कोई घर था ना कोई काम। वह अपनी बचपन की सहेली के पास गई। उसे सारी बातें बताएं उसने कहा तुम मेरे घर मेरे साथ रहो। लेकिन सहेली की मां ने कहा, की यह वहीं पोस्टमैन बाबू की लड़की है।

उसका पति छोड़कर चला गया। हम उसे अपने घर में नहीं रख सकते हैं। तुम उसे यहां से जाने का बोल दो। लक्ष्मी की सहेली ने अपनी मां से बहुत मनाया पर वह नहीं मानी और लक्ष्मी को यहां से जाना पड़ा।
लक्ष्मी शहर में जाकर रहने लगी और एक अस्पताल में नर्स की नौकरी करने लगी।
उसे वहां रहने को जगह मिल गई l उसके कुछ सुख के दिन आए l लेकिन एक दिन अचानक एक महिला आई उसने कहा हमें एक महिला की देखे रेख के लिए नर्स की आवश्यकता है। क्या आप हमारे घर आ सकती हो। लक्ष्मी को भी रुपया की जरूरत थी। लक्ष्मी ने हां कर दी। लक्ष्मी हॉस्पिटल से फ्री होकर उसे महिला की देखरेख करने लगी। महिला की देखेरैक करते हुए ,उसे उस महिला का पता चल गया कि यह श्याम की पत्नी है। और श्याम में उसे छोड़कर इससे शादी कर ली। लक्ष्मी के मन में जो स्नेह था वह घृणा में बदल गया। लक्ष्मी अब उसकी देखरेख में लापरवाही करने लगी। और गलत दवाई देने से उसकी मौत हो गई। उसकी मौत का कारण लक्ष्मी को बताया गया। लक्ष्मी को जेल भेज दिया गया।
कोर्ट की सुनवाई के समय लक्ष्मी जोर-जोर से रोने लगी ।और जज साहब से बोली ,साहब मुझे नहीं जीना मुझे फांसी की सजा सुना दीजिए।
जज ने लक्ष्मी को शांत करते हुए कहा __ लक्ष्मी मत रो शांत हो जाओ हमसे जो बन पड़ेगा हम तुम्हें न्याय दिलाएंगे।
एक दिन अचानक जज को लक्ष्मी की वह करुण पुकार सुनाई देने लगी। जज साहब उससे मिलने जेल गए लक्ष्मी चुपचाप अपने कमरे में बैठी कुछ ना बोलती_ जज साहब के बोलने पर लक्ष्मी रोने लगी उसने अपनी जिंदगी की सारी कहानी जज साहब को सुनाई _जज साहब भावुक को गए, और सरकार से लक्ष्मी के लिए अपील की।लक्ष्मी के अच्छे व्यवहार से उसे बहुत जल्दी जेल से मुक्ति मिल गई। जेल से छूटने पर जज साहब ने पूछा लक्ष्मी कहां जाओगी। लक्ष्मी ने कहा साहब इतनी बड़ी दुनिया में कहीं तो मुंह छुपाने को जगह मिल जाएगी।
जज साहब बोले _लक्ष्मी तुम बुरा ना मानो तो मेरे घर चल सकती हो। लक्ष्मी बोली नहीं नहीं साहब मुझ अभागन के लिए आप परेशान मत हो।
जज साहब बोले नहीं, लक्ष्मी मेरी कोई बहन नहीं है और एक बहन को भाई के घर जाने में कैसा एतराज। लक्ष्मी भावुक हो गई ,उसकी आंखों से आंसू गिरने लगे। बिना कुछ बोले लक्ष्मी जज साहब के साथ घर चली गई।
लक्ष्मी को एक अच्छा घर मिल गया। एक दिन जज साहब ने सोचा की लक्ष्मी का विवाह कर देना। चाहिए। जज साहब बोले लक्ष्मी मेरी निगाह में एक लड़का है । कहो तो उसे शादी की बात करता हूं। जज साहब ने उस लड़के की मां को सारी बातें लक्ष्मी की बताई। वो मान गई और लक्ष्मी की सगाई की तैयारी होने लगी।
इसी बीच लक्ष्मी एक दिन किसी काम से बाजार जा रही थी ।तभी रास्ते में उसने देखा कि कुछ भीड़ लगी हुई है उसे रहा नहीं गया। वह भी उस
भीड़ को देखने के लिए चली गई। उसने वहां खड़े लोगों से पूछा भैया क्या हुआ। किसी को भी इस घटना का पता नहीं था ।तो किसी ने सही उत्तर नहीं दिया। करीब जाकर देखा तो लक्ष्मी कुछ पल के लिए सुन हो गई। सड़क के बीच में जो व्यक्ति पड़ा हुआ था वह और कोई नहीं उसी का मंगेतर श्याम था। लक्ष्मी को अपना पहला प्यार याद आया और उसने सब भूलकर श्याम की मदद करने लगी। उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले गई ,और उसकी सेवा करने लगी। लक्ष्मी को श्याम पर गुस्सा भी आ रहा था l और प्यार भी।
श्याम के हालात थोड़े ठीक होते ही लक्ष्मी से हाथ जोड़कर माफी मांगने लगा। और बोला की लक्ष्मी मेरी वजह से ही तुम्हारी जिंदगी में यह ग्रहण लगा है ।हो सके तो मुझे माफ कर दो।
मैं तुम्हारे किसी भी पत्र का जवाब नहीं दिया था। मेरी मजबूरी थी। तुम्हें क्या बताऊं। श्याम ने वह सारी घटना लक्ष्मी को बताई । लक्ष्मी उसकी बातों को मान गई ।और श्याम को जज साहब के घर लेकर आई। जज साहब _बोले लक्ष्मी कि तुम किसे लेकर आई हो।
लक्ष्मी ने सारा वृत्तांत अपने भाई जज को सुनाया। जज साहब समझ गए की लक्ष्मी श्याम के बिना अधूरी है और उन्होंने लक्ष्मी और श्याम का विवाह तय कर दिया। और दोनों को नए जीवन शुरुआत करने का आशीर्वाद दिया।
इस कहानी से यह शिक्षा
मिलती है कि लक्ष्मी को बहुत संघर्षों के बाद उसका प्यार वापस मिल गया।

डॉ मनोरमा चौहान
(मध्य प्रदेश) हरदा

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