भक्ति दान दीजिए
वीणा वादिनी वर दे,उर ज्योति माँ धर दे।
प्रीत हृदय में जगा,भक्ति दान दीजिए।
दे दो सुर वीणा तान,वाणी करे गुणगान।
झुके नहीं शीश कभी,ऊँची शान दीजिए।
सुवासिनी,हंसासिनी,महापातक नाशिनी।
द्वार आए सेवक को, ब्रम्हज्ञान दीजिए।
जग जननी जटिला,महाभोगा,महाफला।
जग कीर्ति गाए सदा,ऐसा मान दीजिए।।
सकल सृष्टि साधना,देवों की हो आराधना।
लेखनी को मातु मेरी, तेज धार दीजिए।
उर फैला अंधकार,दिखे नहीं उजियार।
ज्ञान दीप उर धर,भव पार कीजिए।
दीन हीन दास जान,देके हमें सुर ज्ञान।
अपने इस भक्त को,शरण में लीजिए।
आए मातु तेरे पास,मन एक लेके आस।
पड़े तेरे चरणों में,जरा तो पसीजिए।।
स्वरचित रचना-राम जी तिवारी”राम”
उन्नाव (उत्तर प्रदेश)