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22 Jun 2025 · 1 min read

मुक्तक _

मुक्तक _
गरीबी से , उभरने का था मौक़ा,
मगर पाया, जो था मरने का मौक़ा,
किसे समझाए अब ,साँसे नहीं है ,
अमीरी का मिला हमको ना मौक़ा।
✍️नील रूहानी…

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