जग जंगल है, जंगल में तो, बल के आगे सब झुकते हैं।
जग जंगल है, जंगल में तो, बल के आगे सब झुकते हैं।
जिसकी जितनी संख्या उसको, उतना ताकतवर कहते हैं।
हार देखकर गले गधे के, अरे! यहाँ अचरज कैसा?
सबके अपने – अपने दल हैं, अपने दल में सब पुजते हैं।
अंकित शर्मा ‘इषुप्रिय’