कुकुभ छंद
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कुकुभ छंद – 30 मात्रा,
यति 16-14 पर, चरणांत 2 गुरु
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कभी न भरना उर सागर विष, शब्द जहर से मत बोलो ।
मीठा उर मीठी वाणी हो, फिर जित चाहो तित डोलो ।।
कौवा कोयल एक रंग के, कोयल प्यारी लगती है ।
बैठी कूके जब डाली पर, हृदय सभी का हरती है ।।
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महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा ।
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