हैप्पी फादर्स डे
पिता ने पकड़ी उंगली तो मैं चलना सीख गया,
दिया सहारा पापा ने मैं गिरकर संभालना सीख गया।
जिंदगी की धूप में ठंडी छाया बन गए,
हर पल मेरे साथ मेरा साया बन गए।
कभी मेरा घोड़ा तो कभी तकिया बन गए,
मुझे सुलाया बाहों में अपनी, मेरी खटिया बन गए।
न आने दी कभी भी गमों की आंच मुझ तक,
न आने दी कोई परेशानी की सांझ मुझ तक।
झेल गए सारे दुख अकेले पापा,
पर करते रहे मेरे लिए सुखों के मेले पापा।
बिल्कुल अकेला हूं मैं पापा इस दुनिया की भीड़ में,
आप बहुत ज्यादा याद आते हो मुझे अपने इस नीड़ में।
मुझे ले चलो पापा फिर से खिलौनों के बाज़ार में,
पापा उठाकर मुझे कंधे पर दिखा दो दशहरा कतार में।