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15 Jun 2025 · 5 min read

*बच्चों से कुछ तो छुपाओ*

बच्चों से कुछ तो छुपाओ

बहुत समय पहले की बात है। एक परिवार में पति-पत्नी और उनका एक लगभग तीन साल का बच्चा रहता था। यह परिवार बहुत खुशी के साथ रह रहा था। आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण पति रोज काम करने के लिए बाहर चला जाता था। पत्नी और उसका तीन साल का बच्चा घर पर ही रहते थे। जब पति बाहर चला जाता था, तो पत्नी और बच्चा घर पर ही रह जाते थे। बच्चा और उसकी मांँ घर पर रहकर आपस में मन बहलाने वाली बातें किया करते थे। इस दौरान बच्चा जो भी प्रश्न करता था, उसका जवाब माँ बहुत ही भोलेपन से दे दिया करती थी। पति बाहर ही रहता था, इसलिए कुछ बातों का पति को भी पता नहीं चल पाता था।
समय गुजरा और पति-पत्नी ने मिलकर दूसरे बच्चे की प्लानिंग की। इसका परिणाम धीरे-धीरे सामने आने लगा अर्थात बच्चें की मांँ का पेट धीरे-धीरे दिखाई देने लगा। जैसा कि अक्सर होता ही है, जैसे-जैसे प्रेगनेंसी के दिन समीप आते गए, पेट पहले से ज्यादा दिखाई देने लगा। इस दौरान बच्चे के मम्मी से कुछ प्रश्न लगे रहते थे। जैसा कि अक्सर होता है, कि हर मांँ अपने बच्चों के हर सवाल का जवाब देने की कोशिश करती है, क्योंकि हर माँ बच्चों के लिए सबसे पहली शिक्षिका भी होती है।
एक दिन बातों ही बातों में मांँ अपने छोटे बच्चे से कई सारी बातें पूछती है। बच्चा पहले बताए गए जवाब के आधार पर प्रश्नों के जवाब देता है। उस समय बच्चे के मन में तरह-तरह के प्रश्न आने लगे और वह मम्मी से पूछता है कि,” मम्मी बच्चे कहांँ से आते हैं?” इसका जवाब मम्मी किस प्रकार दे वह थोड़ी सोच में पड़ गई, क्योंकि तीन साल का बच्चा यदि ऐसा प्रश्न करेगा, तो थोड़ा सोचने का विषय तो बनता ही है। वह सोचने लगी, कि क्या बताऊंँ! फिर उसने बच्चे से सीधे-सीधे बताया अर्थात सवाल को घुमा फिराकर न बताकर मम्मी ने उसे बताया कि “बच्चे मम्मी के पेट से आते हैं।” अब एक और बच्चा मेरे पेट से तेरे साथ खेलने के लिए कुछ दिन में आएगा। बच्चों ने मम्मी से प्रश्न किया कि ,”मम्मी आपका इतना मोटा पेट क्यों हो रहा है।” मम्मी ने बताया कि, “इस पेट से निकलकर तेरे साथ खेलने के लिए ही तो छोटा बच्चा आएगा।” इसलिए यह पेट मोटा हो रहा है। अब बच्चा रोज इसके बारे में सोचता है कि, “मेरे साथ कब बच्चा पेट से निकलकर खेलने आएगा।” कुछ दिन पहले एक रोज बच्चे के पापा अपनी दाढ़ी बना रहे थे। बॉक्स में रखें ब्लेड को देखकर बच्चे ने उनसे पूछा कि, “यह क्या है।” पापा ने उसे बताया, कि यह ब्लेड है। यह काटने के काम आता है। पापा ने अपनी दाढ़ी बनाते हुए कहा कि, यह अब मेरे बालों को काट रहा है। तब बच्चे ने पापा से कहा कि मम्मी तो सब्जी फल चाकू से काटती हैं। पापा ने आगे कहा कि, ब्लेड में चाकू से भी ज्यादा धार होती है, यह मुलायम चीजों को एकदम काट देता है।
तीन साल का बच्चा ब्लेड के बारे में जान चुका था, कि यह तेज धार वाली काटने की चीज ब्लेड है।
तभी से वह तीन साल का बच्चा चाकू ब्लेड के बारे में जान चुका था।
एक दिन की बात है। बच्चे के पिता बाहर गए हुए थे और मांँ के प्रेगनेंसी का आखिरी महीना चल रहा था। मांँ उस दिन बाहर ही सो रही थी। जिससे उसका खुला हुआ पेट साफ दिखाई दे रहा था। बच्चे के मन में आया, कि क्यों न मांँ के पेट से साथ खेलने के लिए बच्चे को ब्लेड- चाकू से जल्दी निकाल लिया जाए, ताकि हम दोनों साथ-साथ खेल सकें। यह बात सोचकर उसने सामने रखी सब्जी की टोकरी से चाकू उठाया और पापा की दाढ़ी के रखे सामान वाले बॉक्स से ब्लेड निकालकर शांति के साथ सो रही मम्मी के पास पहुंँच गया। मम्मी को इसके बारे में कुछ पता नहीं था, क्योंकि वह गहरी नींद से सो रही थी। बच्चा धीरे-धीरे मम्मी के पास आया और उसने खूब जोर लगाकर मम्मी के पेट के बाहर निकले पेट को ब्लेड से काट दिया और फिर चाकू के लगातार खींच खींच कर कई बार कर दिए। माँ एकदम से दर्द से चीखीं-चिल्लाई लेकिन इतने आसपास का कोई व्यक्ति पास आता उसकी चीख धीरे-धीरे शांत हो चुकी थी और वह हमेशा हमेशा के लिए संसार को छोड़कर जा चुकी थी। अगर उसके पास कुछ था, तो वो था चारों तरफ खूनी ही खून और वह खून में सना तीन साल का मासूम बच्चा। आसपास के लोग जैसे ही वहांँ पहुंँचे सभी की आंँखें खुली की खुली रह गई और सभी अपने स्थान पर मौन और निशब्द थे।
इस घटना ने आसपास के लोगों को बुरी तरह झकझोर दिया। शाम को आए जब बच्चे के पिता ने अपने आंँसू रोककर और पास पड़ोस के लोगों ने मासूम बच्चे से पूछा कि, तुमने मम्मी के पेट पर चाकू और ब्लेड क्यों मारा? तो उसने बड़ी मासूमियत से जवाब दिया कि, मांँ के पेट में बच्चा था। इसके बारे में मम्मी ने मुझे बताया था और मुझे जल्दी से उसके साथ खेलना था और मैं उसे पेट से निकालना चाहता था। बच्चे की ऐसी बात सुनकर सभी एकटक देखते रहे और उसकी बात सुनते रहे परंतु उससे कह कुछ नहीं सके।
अब क्या हो सकता था। सब कुछ जा चुका था। पति बहुत पछतावा करता काश बच्चों से ऐसी कुछ बातों को छुपाया होता तो मेरी पत्नी के साथ उस बच्चे का भी जीवन होता जो इस जहांँ में आने हेतु गर्भ में ही पल रहा था और पत्नी के साथ हमेशा- हमेशा के लिए संसार में आने से पहले ही वापस हो गया।
हमें भी कुछ बातों को बच्चों से सीधे-सीधे नहीं बतानी चाहिए। यह कहानी नहीं बल्कि एक सीख है। हमें कुछ बच्चों को जिन बातों से बच्चों के भविष्य में दिक्कत होने की संभावना हो, उन बातों को हमें कभी भी बच्चों को नहीं बताना चाहिए, क्योंकि बच्चा- बच्चा होता है। जैसा उसे बताओगे, जैसा उसे बनाओगे जैसा वह देखेगा उसी के अनुसार काम करने की कोशिश करता है। ऐसी घटनाएंँ हमारे आसपास घटित होती रहती हैं परंतु फिर भी हम नासमझ बनकर नजरअंदाज कर देते हैं। यह कहानी हमें सजग सतर्क रहने के लिए प्रेरित करती है ताकि हम ऐसी आने वाली भावी समस्याओं से बच सकें और ऐसे ही कितने हंसते-खेलते परिवार को बचा सकें।

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