पिता कंधा होते हैं (पिता दिवस विषेश)
पिता कंधा होते हैं (पिता दिवस विषेश)
पिता कंधा होते हैं,
घर का भार लिए वह रहते है,
ज़िम्मेदारियों से दबे रहते है,
घर की हालत, आंखे नम करती है,
पर, तनिक आँसु न बहाते है,
रोते होंगे कभी अगर तो,
चुप – चाप रो लिया करते है,
रोता नही है, मर्द कभी,
ऐसा हमे सिखाते है,
आँसु छिप जाते है कही,
जब बच्चे की हंसी देखते है,
सहारा देने के लिए हमे,
हमेशा तैयार रहते है,
हाथ हो जाते है पत्थर,
फिर भी कोमल लगते हैं ।
—— प्रणव राज