नवनिधि क्षणिकाएँ---
नवनिधि क्षणिकाएँ—
10/06/2025
चेहरा देखकर नहीं
औकात देखकर कदापि नहीं
रिश्ते हृदय की निर्मल भावनाओं से बनते हैं।
न जाने कितने दिन घंटे अभ्यास किये
किन परिस्थितियों का सामना किया उसने
ऊँचाई पर जो आज है।
उसकी आदत, मनोदशाएं
किन परिस्थितियों पर जीता है वह
और हम निर्णय तुरंत सुना देते हैं।
कैसे उसके जैसा बन पाओगे
न दिल से जागे, न दिमाग से
तुमने तो अभी पसीना ही नहीं देखा है।
सुविधाएँ प्रमाद की जननी है
यही सत्य हमने पढ़ा, देखा, अनुभव किया
हाँ, प्रतिभाएं अभावों की कोख से पैदा होती है।
मन की चंचलता को दिशा दो
इस बेरोजगार को काम सौंप दो
यही तुम्हें संसार में प्रकाशित करेगा।
गहरे अंधकार में रहना होगा
पूरा जीवन गुमनामियों के सतह पर
तब तुम अनमोल हीरे की शक्ल पाओगे।।
— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य, (बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
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