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7 Jun 2025 · 1 min read

बुंदेली दोहा - भिनकती

बुंदेली दोहा – भिनकती

गई भिनकती मायके, तकुआ धना फुलायँ।
कातइ दद्दा आन कैं,हैंसा बाँट करायँ।।

नईं भिनकती बात है,गम्म ‌खौर हौं लोग।
करत रात उपचार हैं,नौनें करत प्रयोग।।

दाल भिनकती खूब है,जब माँछी गिर जाय।
यैसइ भिनकत बात है,उल्टौ अर्थ लगाय।।

बउअन से जब सास जू ,करें भिनकती बात।
साता उनखौं है परत, चलवा लें जब लात।।

बात भिनकती पाक से,#राना समरत नाँय।
करत उबाड़े काम बौ,नईं पकरतइ छाँय‌।।
*** दिनांक -7.6.2025

✍️ राजीव नामदेव”राना लिधौरी”
संपादक “आकांक्षा” पत्रिका
संपादक-‘अनुश्रुति’त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email – ranalidhori@gmail.com

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