मसि कागद अरु लेखनी
मसि कागद अरु लेखनी, चित्र गुप्त आधार।
पाप पुण्य इससे लिखें,जाने सब संसार।।
लेखन के हैं देवता, चित्र गुप्त महराज।
लिखते करनी जीव की,यही मिला है काज।।
प्रबल बहुत ही लेखनी,कहता सब संसार ।
चित्र गुप्त जो लिख दिए,वही बना सब सार।।
पाप-पुण्य के कर्म का,रखे लेखनी ध्यान।
जैसे जिसके कर्म हों,वैसा रचे विधान।।
चित्र वंश का ओम कवि,रखे लेखनी हाथ।
लिखता रहता नित्य कुछ,चित्र कृपा के साथ।।
डॉ ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम