*शुभ रात्रि*
#मुक्तक
😞 अपने अतीत के नाम।
(प्रणय प्रभात)
“जोश जज़्बात में भरने का हुनर था उनमें,
गर्म रिश्ते थे नहीं सर्द हुआ करते थे।
आज लगता है कोई आशना बाक़ी ही नहीं,
जिस शहर में मिरे हमदर्द हुआ करते थे।।”
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मध्यप्रदेश