क्षमा दया अरु प्रेम का,रखता जो शृंगार।
क्षमा दया अरु प्रेम का,रखता जो शृंगार।
कर्म उचित करता सदा, पाता यश संसार।।
डॉ ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम
क्षमा दया अरु प्रेम का,रखता जो शृंगार।
कर्म उचित करता सदा, पाता यश संसार।।
डॉ ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम