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27 May 2025 · 1 min read

क्षमा दया अरु प्रेम का,रखता जो शृंगार।

क्षमा दया अरु प्रेम का,रखता जो शृंगार।
कर्म उचित करता सदा, पाता यश संसार।।
डॉ ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम

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