शहर में ये तमाम चर्चे हैं
शहर में ये तमाम चर्चे हैं
कितने बिगड़ैल अब के बच्चे हैं
चाहिए रोज एक नया फैशन
इतने ज्यादा तो इनके खर्चे हैं
कुछ तो रखा करें नजर यूँ भी
हैं बुरे दोस्त या कि अच्छे हैं
ढालना तो कुम्हार को हीं है
मिट्टी कच्ची है, घड़े कच्चे हैं
कोशिशें भी कमाल करती हैं
ये इरादे जो मन के सच्चे हैं