कभी अपनों के खातिर ,
कभी अपनों के खातिर ,
कभी सपनों के खातिर ,
हम जिंदा रहते है |
हम तो अपने से ज्यादा ,
दूसरों के खातिर जिंदा रहते है ||
कभी अपनों के खातिर ,
कभी सपनों के खातिर ,
हम जिंदा रहते है |
हम तो अपने से ज्यादा ,
दूसरों के खातिर जिंदा रहते है ||