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26 May 2025 · 1 min read

कभी अपनों के खातिर ,

कभी अपनों के खातिर ,
कभी सपनों के खातिर ,
हम जिंदा रहते है |
हम तो अपने से ज्यादा ,
दूसरों के खातिर जिंदा रहते है ||

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