यात्रा
यात्रा
एक समय के बाद सब शून्य हो जाता है। आशा – निराशा, सुख – दुख, अपने – पराए, सपने – सच्चाई, जीवन – मृत्यु। यदि कुछ रह जाता है तो वो केवल यात्रा – स्वयं को पाने की अपनी यात्रा।
– लक्ष्मी वर्मा ‘प्रतीक्षा’
यात्रा
एक समय के बाद सब शून्य हो जाता है। आशा – निराशा, सुख – दुख, अपने – पराए, सपने – सच्चाई, जीवन – मृत्यु। यदि कुछ रह जाता है तो वो केवल यात्रा – स्वयं को पाने की अपनी यात्रा।
– लक्ष्मी वर्मा ‘प्रतीक्षा’