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23 May 2025 · 1 min read

यात्रा

यात्रा
एक समय के बाद सब शून्य हो जाता है। आशा – निराशा, सुख – दुख, अपने – पराए, सपने – सच्चाई, जीवन – मृत्यु। यदि कुछ रह जाता है तो वो केवल यात्रा – स्वयं को पाने की अपनी यात्रा।

– लक्ष्मी वर्मा ‘प्रतीक्षा’

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