दोहा
यज्ञ
पावन बासर गाँव का, बढ़ा यज्ञ से मान।
यष्टा भगवा वस्त्र में, जपे नाम हनुमान।।
तपोभूमि के कुण्ड से,जल का हुआ उठान।।
व्रती कलश लेकर चले, करके हनुमत ध्यान।।
नारे लगते राह में, जय जय हे हनुमान।
सड़क पटी है भक्त से, होता गर्जन गान।।
नाच-गान में मस्त हैं,भक्त बजाए तूर्य।
आस्था आगे नत गगन, घेरा घन जब सूर्य।।
अनुपम उत्तम दृश्य यह, पावन अति माहौल।
वर्णन कैसे मैं करूँ, मुश्किल इसकी तौल।
लोग यज्ञ में भाग ले, करे ईश से प्रीत।
मैं भी पुण्य बटोरता,लिखकर गाकर गीत।।
नरेंद्र सिंह,21.05.2025