विघ्नेश्वर🙏
विघ्नेश्वर🙏
विघनेश्वर भव -ताप हर,दे दो ज्ञान -प्रभात।
जीवन हो आलोक सह आनंदी वर्षांत।।
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पं बृजेश कुमार नायक
विद्यासागर,विद्यावाचस्पति,हिंदीसागर,प्रेमसागर,जालौनरत्न,भारतगौरव, राष्ट्रभाषा आचार्य।
✓उक्त दोहा को मेरी कृति “नायक जी की कुंडलिकाएं” में भी पढ़ा जा सकता है।
✓ नायक जी की कुंडलिकाएं कृति अमेजन और फिल्पकार्ट पर उपलब्ध है।